Kinetic Green और Yulu Bikes के बीच ‘Zulu’ ट्रेडमार्क विवाद का समाधान: व्यापारिक संघर्ष पर लगी विराम रेखा!
Kinetic Green और Yulu Bikes ने ‘Zulu’ ब्रांड नाम पर व्यापार चिह्न विवाद को सुलझाया
भारत के दो प्रमुख इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहन कंपनियों, Kinetic Green Energy और Yulu Bikes ने अपने ‘Zulu’ ब्रांड नाम को लेकर चल रहे व्यापार चिह्न विवाद को सुलझा लिया है। दोनों कंपनियों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत Kinetic Green अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर को ‘Zulu’ नाम से बेचने की अनुमति प्राप्त करेगी।
विवाद का इतिहास
यह विवाद तब शुरू हुआ जब Kinetic Green ने दिसंबर 2023 में अपने ‘Zulu’ ब्रांडेड इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च किए। इससे पहले, Yulu Bikes ने 160 करोड़ रुपये का नया निवेश जुटाया था। Yulu का दावा था कि ‘Zulu’ नाम उनके अपने ब्रांड नाम के बहुत करीब है और उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा कर सकता है।
जनवरी 2024 में, Yulu ने Kinetic Green के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया और ‘Zulu’ नाम का उपयोग करने से रोकने के लिए एक अस्थायी रोक लगाने की मांग की। कर्नाटक हाई कोर्ट ने फरवरी 2024 में Yulu की मांग को आंशिक रूप से मंजूर किया और Kinetic Green पर एक अस्थायी रोक लगा दी।
समझौता
दोनों पक्षों ने अब एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत Kinetic Green अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर को ‘Kinetic Green Zulu’ नाम से बेचने की अनुमति प्राप्त करेगा। इसके बदले में, Yulu ने अपने मूल मुकदमे को वापस ले लिया है।
Kinetic Green के प्रवक्ता ने कहा, “हमने 26 सितंबर, 2022 से ‘Kinetic Green Zulu’ और ‘Zulu’ ट्रेडमार्क को रजिस्टर कराया है और केवल पंजीकरण प्राप्त करने के बाद ही इनका उपयोग शुरू किया है। हमें इन घटनाक्रमों से बहुत आश्चर्य हुआ है। मामला अब न्यायालय में है और इस पर हमारे पास कोई और टिप्पणी करने के लिए नहीं है।”
ट्रेडमार्क विवादों में वृद्धि
भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग में ट्रेडमार्क उल्लंघन को लेकर मुकदमेबाजी नई बात नहीं है। इससे पहले, 2020 में लक्जरी कार निर्माता BMW ने एक इलेक्ट्रिक तीन-पहिया वाहन कंपनी के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीती थी, जिसने अपने वाहनों पर ‘DMW’ ब्रांड नाम का उपयोग किया था। इसी तरह, 2019 में, फैशन हाउस Monte Carlo Fashions औरऑटोमेकर Skoda India के बीच एक ट्रेडमार्क विवाद देखने को मिला था।
इस प्रकार, Kinetic Green और Yulu Bikes के बीच हुआ समझौता भारत के तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहन उद्योग में ट्रेडमार्क विवादों को सुलझाने का एक और उदाहरण है। यह दोनों कंपनियों के लिए एक जीत है, क्योंकि इससे उनके संचालन पर कोई बाधा नहीं आएगी और वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकेंगे।